“वसुधैव कुटुम्बकम्” भारतीय संस्कृति में एक प्राचीन संस्कृत श्लोक है जिसका अर्थ है “पूरा पृथ्वी परिवार है”। यह श्लोक हमें यह बताता है कि समस्त मानव जाति एक ही परिवार के सदस्य हैं।
इस दृष्टिकोण को आज के समय में भी बहुत महत्व है। विश्वास, सम्मान और सहयोग के माध्यम से हम सभी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। यह दृष्टिकोण हमें यह बताता है कि हमें अपने भाईचारे और सामाजिक सहयोग को महत्व देना चाहिए।
वसुधैव कुटुम्बकम् का अनुसरण करते हुए, हमें अपने समाज में समरसता और एकता को बढ़ावा देना चाहिए। इससे हमारा समाज और विश्व एक बेहतर स्थान बनेगा जहां सभी लोग खुशहाली और समृद्धि के साथ रह सकेंगे।
इसलिए, हमें वसुधैव कुटुम्बकम् के सिद्धांत को अपने जीवन में अपनाना चाहिए और दूसरों के साथ नेकी और प्यार का आदान-प्रदान करते हुए एक सद्भावपूर्ण समाज का निर्माण करना चाहिए।
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