यजुर्वेद वेदों का दूसरा महत्वपूर्ण संग्रह है।
यह लगभग 1000 ईसा पूर्व में संकलित किया गया था।
यजुर्वेद में कुल 1975 मंत्र हैं, जो मुख्य रूप से यज्ञ और धार्मिक रीति-रिवाजों से संबंधित हैं।
यजुर्वेद को दो प्रमुख शाखाओं में विभाजित किया गया है -
1- श्वेत यजुर्वेद और
2- कृष्ण यजुर्वेद।
श्वेत यजुर्वेद में मंत्रों का व्याख्यात्मक स्वरूप है, जबकि कृष्ण यजुर्वेद में मंत्रों का संक्षिप्त स्वरूप है।
यजुर्वेद में यज्ञ और धार्मिक अनुष्ठानों के विस्तृत विवरण मिलते हैं।
इसमें यज्ञ के विभिन्न प्रकारों, उनके उद्देश्यों, उपयोग होने वाली सामग्री और विधियों का वर्णन है।
यह वेद धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
यजुर्वेद के अध्ययन से वैदिक काल की धार्मिक और सामाजिक व्यवस्था का ज्ञान प्राप्त होता है।
यह वेद वैदिक संस्कृति और धर्म के अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
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